संदेश

दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

= श्री गणपतिस्तोत्रम् =

चित्र
== श्री गणपतिस्तोत्रम् == === ।। श्री गणेशायनमः ।। === ==== ।।नारद उवाच ।। ==== प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।। भक्तावासं स्मरेनित्यमायु:सर्वकामार्थसिध्दये ।।1।। प्रथमं वक्रतुंड च एकदन्तं द्वितीयकम्। तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।। 2।। लंबोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च। सप्तमं विघ्न राजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्।। 3।। नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम्। एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्।। 4।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः। न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिध्दिकरं प्रभो।। 5।। विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्। पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्।। 6।। जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्। संवत्सरेण सिध्दिं च लभते नात्र संशयः।। 7।। अष्टभ्यो ब्राम्हाणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्। तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।। 8।। इति श्री नारदपुराणे संकटनाशनं नाम महागणपतिस्तोत्रं संपूर्णम्।।

ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र दिलाये कर्ज से छुटकारा

चित्र
अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए हर व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी कर्ज लेना ही पड़ता  है। कई बार व्यक्ति कर्ज को जल्दी चुकाना चाहता है, लेकिन कर्ज का अंत ही नहीं होता है। ऐसे समय में ऋणमोचन हेतु 'ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र' का निरंतर पाठ करने से कर्ज शीघ्र ही  चुकता होता है, साथ ही धन पाने के अन्य कई रास्ते भी निकल आते हैं। आइए पढ़ें...    ध्यान   ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्। ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।1   त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।2   हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।3   महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।4   तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।5   भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।6   शशिना कान्ति-...

आदित्य ह्रदय स्तोत्र हर क्षेत्र में चमत्कारी सफलता देता है। पढ़ें आदित्य ह्रदय स्रोत निरंतर :

चित्र
आदित्य ह्रदय स्रोत : आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास के साथ-साथ समस्त कार्यों में सफलता मिलती है। हर मनोकामना सिद्ध होती है। सरल शब्दों में कहें तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र हर क्षेत्र में चमत्कारी सफलता देता है। पढ़ें आदित्य ह्रदय स्रोत निरंतर : ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्‌ । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्‌ ॥1॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्‌ । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥ राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम्‌ ।  येन सर्वानरीन्‌ वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3ll आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्‌ ।  जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्‌ ॥4॥ सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम्‌ । चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्‌ ॥5॥  रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्‌ । पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्‌ ॥6॥ सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: । एष देवासुरगणांल्लोकान्‌ पाति गभस्तिभि: ॥7॥ एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: । महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥...