शनि होगा अब मित्र आपका कैसे पढ़े नित्य प्रात: और संध्या काल शनि दशरथ स्तोत्र

  • शनि शांति का अचूक उपाय जो दिलाएगा दुःखों से मुक्ति नित्य प्रातः व रात्रि काल जप करे जलाए सरसों के तेल का दीपक साथ और बिछाए एक कपड़ा पहले एक पटरी पर उसपर एक कोयले का टुकड़ा थोड़े काले तिल और साबुत उड़द के दाने की ढेरि लगा कर 21 पाठ 21 दिन लगातार करे और उड़द की दाल और चावल की खिचड़ी प्रसाद में बाटें और दीप दान दे पीपल वृक्ष पर दशरथकृत शनि स्तोत्र
  • नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च। 
  • नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥1॥ 
  • नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। 
  • नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥ 2॥ 
  • नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। 
  • नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते॥ 3॥
  •  नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:। 
  • नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥ 4॥ 
  • नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते। 
  • सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च॥ 5॥ 
  • अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते। 
  • नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते॥ 6॥ 
  • तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च। 
  • नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥ 7॥ 
  • ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
  •  तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥ 8॥ 
  • देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:। 
  • त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥ 9॥ 
  • प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे। 
  • एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥10॥ 
  • दशरथ उवाच:
  • प्रसन्नो यदि मे सौरे वरं देहि ममेप्सितम्।

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