बापू गांधी का सपना - फिर वहीं पुरानी राह जिसका सपना देखा और दिखाया था बापूजी ने l वहीं आंदोलन बस राह अलग पहले लड़ाई आजादी के लिए थी जो अब उनके द्वारा दिए गए संस्कारों के प्रति ताकि समता का भाव बना रहे जैसा हमने चाहा था लोकल से वोकल l
दीमाग की यादे तेज कर ली जाये दुबारा l
आओ लौट चले फिर फिर वहीं 1970-80 के दशक में जहां से ही नीति थी व्यापार की l
स्वदेशी जो था गांधी जी का सपना l
ईस्ट इंडिया कंपनी को भगाना है तो स्वदेशी बनाना अपनाना होगा l ताकि अंग्रेज भागे l
लेकिन आज भगाना नहीं है उनकी नीति मिटाना है जो सरकार आफत खुद लाती है और फिर उसका इलाज ढूँढती है l
पेप्सी कोक Nike Reebok woodland Peter England और ना जाने कितने अनगिनत ब्रांड मार्केट मे है इन्हें अगर एक दम बंद किया तो ना जाने कितने व्यापारी बर्बाद होंगे जिनके पास imported चाइनीज और दूसरे देश की पूरी चैन है cosmetics और इलेक्ट्रिक की उनका माल कोई भी नहीं लेगा आधे रेट मे भी ऐसे मे पहले जब तक यहा उसका अल्टरनेट ना आ जाए तक तक ऐसा ना हो l
पहले व्यापरियों से इसका ब्यौरा लिया जाए या उन्हें सरकार प्रावधान समझाये l
पुराने ब्रांड पुराना दौर
नई दिशा पुराना दौर
नाम नया vocal for local
और काम वहीं जो था दशकों पहले
  
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