माँ भगवती की असीम कृपा जो मिलती है हमे दुर्गा सप्त श्लोकी के नित्यप्रति जप तप से चाहे परेशानी धन मान सम्मान वैभव की हो, सुन्दर सुशील पत्नि, मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति हो या फिर शिक्षा स्वास्थ्य भविष्य की l
सबसे पहले हम जय माता दी कहते हुए आगे बढ़ते है और आज माता महामाई के ज्ञान ध्यान से भलीभाँति परिचित होते हुए हम अपनी कामनाओं की पूर्ति और माता के दार्शनिक नियम का पालन करते हुए दुर्गा सप्तश्लोकी का जाप/पाठ क्यों करना चाहिए इस बारे मे जानते हैं और इससे. हमे कौन सा सुख या इच्छित वर प्राप्त होगा l तो आइये मैं आपको बताता हूं कि सप्तश्लोकी दुर्गा का नित्या पाठ करने से आपको चारो दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और माता महामाई इस पाठ करने वाले जातक से अत्याधिक प्रसन्न रहती है और मैया परछाईं की तरह अपने भक्त के साथ रहती है और उसे कभी भी किसी संकट मे नही फंसने देती l माता अपने भक्त की रक्षा कवच की तरह साथ रहना शुरू कर देती है l इसके लिए आपको करना क्या है आप सबसे पहले अपने मन मे माता की पूजा और सप्त श्लोकी के पाठ का संकल्प ले और गणेश जी या शंकर जी या अपने गुरु महाराज का नाम लेकर शुक्ल पक्ष के सोमवार, मंगलवार,शुक्रवार या शनिवार से इस पाठ को शुरू करे l आपने इसके नित्यप्रति 7 पाठ करने है और 21 आहुति आपने किसी उपले को जलाकर या आम की लकड़ी जलाकर यज्ञ स्वरूप 21 आहुति देनी है अगर आप ऐसा रोज कर सके तो ये अत्याधिक प्रभावशाली होगा नहीं तो आप सप्तमी अष्टमी नवमी चतुर्दशी और शनिवार को ऐसा करे l
21 आहुति उपला जलाकर या आम की लकड़ी का हवन करके आप दे l इसके बाद बात आती है कि किस मंत्र से 21 आहुति दी जाए l इसके लिए अलग अलग मंत्र अलग अलग इच्छा पूर्ति के लिए है जैसे
अगर शिक्षा से जुड़े है या किसी को अपनी और इंटरव्यू आदि मे मोहित करना चाहते है तब आप ज्ञानीनामअपि चेतांसि इस मंत्र से 21 आहुति दे l
अपने शुभ कर्मों के लिए आप और माता की प्रसन्नता के लिए आप दुर्गे स्मृताहर्षि भीतीम मंत्र से 21 आहुति दे l
अगर आप पैसे से और गरीबी से परेशान है तब आप दरिद्रदुख भयहरिनि इस मंत्र से आहुति दे l
अगर आप धन मान सम्मान चाहए है तो आप सर्व मंगल मांगलयै इस मंत्र की आहुति दे l
अगर आप माता की भक्ति प्राप्त करना चाहते है तब आप
शरणागत दीनार्त परित्राण इस मंत्र की आहुति दे l
अगर आप माता के सब रूपों का परिचय चाहते हुए पूजा जप तप हासिल करना चाहते है तब आप सर्व स्वरुपे सर्वेशै सर्व शक्ति समन्वित: इस मंत्र से 21 आहुति सामग्री आदि से दे l
नियम - आप एक चौकी माता की लगाए और उस ओर लाल कोरा वस्त्र मतलब नया कपड़ा लाल रंग का बीछा दे l उस पर एक लौटा जल उत्तर पूर्व दिशा मे भर कर रख दे और एक काला जायफल और साबुत सुपारी भी पूजा की थाली मे रखे l
एक दीपक सरसों के तेल या देसी घी का जलाए एक धूप बत्ती और कुछ मिठाई या लड्डू प्रसाद के लिए या बताशे या मिश्री l इनमे से कुछ आप मीठा रखे पूजा मे और आप अपना पाठ शुरू करे l पाठ समाप्ति पर आप उपले पर कपूर जलाये या आम की लकड़ी जलाये और उपर दिए निर्देश अनुसार आहुतियां दे और क्षमा प्रार्थना कर माता से आशिर्वाद ले l
आपकी बहुत शीघ्र मनोकामना पूर्ति होगी l
जय माता महा माई
जय माता की
जय गुरु महाराज जय बाबा की



टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें