राधा अष्टमी के व्रत के साथ ही जन्माष्टमी का व्रत माना जाता है पूर्ण, जानिये व्रत विधि और कथा

कहते हैं कि जब उनके पिता वृषभानु जी यज्ञ स्थल की सफाई कर रहे थे। उस समय उन्हें देवी राधा वहां मिलीं और वृषभानु जी ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।
राधा रानी को श्रीकृष्ण की बाल सहचरी, जगजननी भगवती शक्ति माना जाता है।
राधा अष्टमी का त्योहार 26 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन श्री राधा रानी बरसाने में प्रकट हुई थीं। कहते हैं कि जब उनके पिता वृषभानु जी यज्ञ स्थल की सफाई कर रहे थे। उस समय उन्हें देवी राधा वहां मिलीं और वृषभानु जी ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राधा रानी की माता का नाम कीर्ति है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी जन्माष्टमी के पन्द्रह दिन बाद राधा अष्टमी मनाई जाती है। माना जाता है कि जो श्रद्धालु भगवान कृष्ण के लिए जन्माष्टमी का व्रत करते हैं। उन्हें श्री राधा रानी के लिए राधा अष्टमी का व्रत भी जरूर करना चाहिए अन्यथा जन्माष्टमी के व्रत को पूर्ण नहीं होता है।

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