क्षमा प्रार्थना-अपराध सहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया l

॥ क्षमा - प्रार्थना ॥
 अपराध सहस्त्राणि  क्रियन्तेहर्निशं मया
दासोsयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरी ॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्, 
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरी ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्ति हीनं  सुरेश्वरि, 
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे ॥
अपराध शतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत, 
यां गतिं समवाप्नोति न तां  ब्रह्मादयः सुराः ॥
सअपराधोsस्मि सरणं  प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके , इदानीमनुकम्प्योsहं यथेच्छसि   तथा कुरु ॥         
अज्ञाना द्वि स्मृतेर्भ्रान्त्या  यन्न्युनमधिकं कृतम् 
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी ॥
कामेश्वरी जगन्मातः सच्चिदानन्द विग्रहे 
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरी ॥ 
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्  
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरी ॥
जय माता महा माई
जय गुरु महाराज 
जय बाबा की 

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