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दोस्त होने के बावजूद चंदबरदाई ने क्यों किया था पृथ्वीराज चौहान का वध?

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दोस्त होने के बावजूद चंदबरदाई ने क्यों किया था पृथ्वीराज चौहान का वध? पृथ्वीराज एक महान योद्धा होने के साथ-साथ एक प्रेमी भी थे। संयोगिता और पृथ्वीराज की प्रेम कहानी इतिहास के पन्नों में बहुत खूबसूरती के साथ दर्ज है। लेकिन अपने बचपन के मित्र और राजकवि चंदबरदाई के साथ उनकी दोस्ती के किस्सों को बहुत ही कम लोग जानते होंगे।बात उन दिनों की है जब अपने नाना की गद्दी संभालने के लिए पृथ्वीराज ने दिल्ली का शासन संभाला था। दरअसल दिल्ली के पूर्व शासक अनंगपाल का कोई पुत्र नहीं था इसलिए उन्होंने अपने दामाद और अजमेर के महाराज सोमेश्वर चौहान से यह अनुरोध किया कि वह अपने पुत्र पृथ्वीराज को दिल्ली की सत्ता संभालने दें।सोमेश्वर चौहान ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के शासक बन गए। एक तरफ जहां पृथ्वीराज दिल्ली की सत्ता संभाल रहे थे वहीं दूसरी ओर कन्नौज के शासक जयचंद ने अपनी पुत्री संयोगिता के स्वयंवर की घोषणा कर दी। जयचंद, पृथ्वीराज के गौरव और उनकी आन से ईर्ष्या रखता था इसलिए उसने इस स्वयंवर में पृथ्वीराज को निमंत्रण नहीं भेजा। पृथ्वीराज चौहान का चित्र देखकर...

जब संत ने महमूद गजनवी से कहा, जरा अदब का लिहाज रख ये हराम है l

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जब संत ने महमूद गजनवी से कहा, जरा अदब का लिहाज रख ये हराम है l संत अबुल हसन खिरकानी की परीक्षा लेने के लिए महमूद गजनवी अपने एक गुलाम को शाही लिबास पहनाकर और खुद दासी का रूप धारण कर उनके पास गया। संत ने केवल दासीरूप में आए महमूद की ओर देखा। इस पर बादशाह बना गुलाम बोला, ‘आपने बादशाह का सम्मान क्यों नहीं किया?’ हसन बोले, ‘सब रचा-रचाया जाल है।’महमूद जान गया कि यह पहुंचा हुआ महात्मा है। उसने लिबास उतारकर माफी मांगी और कुछ नसीहतें देने को कहा। अबुल हसन ने दूसरों को बाहर करके कहा, ‘ऐ! महमूद, जरा अदब का लिहाज रख। जो चीजें हराम हैं, उनसे दूर रह। खुदा की बनाई दुनिया से प्यार कर और अपने जीवन में उदारता बरत।’ तब महमूद ने उन्हें अशर्फियों की थैली भेंट की। इस पर संत ने एक सूखी जौ की टिकिया उसे खाने को दी।महमूद उसे चबाता रहा, किंतु वह गले से न उतरी। तब वह बोला, ‘यह निवाला मेरे गले में अटक रहा है।’ इस पर हसन बोले, ‘तब क्या तू भी यह चाहता है कि यह थैली मेरे हलक में अटके?’ महमूद शर्मिंदा हो गया और जाते-जाते बोला, ‘आपकी झोपड़ी बड़ी उम्दा है।’ हसन बोले, ‘महमूद, खुदा ने तुझे इतनी बड़ी सल्तनत दी...