सनातन धर्म से जुड़ी हुई विशेषताएँ और उनके गूढ़ ज्ञान संदेशों के साथ साथ उन संदेशों का सार और उनसे जुड़ी कथायें पूजा कर्म मंत्र विधि विधान तंत्र कलाए और उपयोगिता I
चिमटा मंत्र निराला शाबर विद्या - बाबा गोरख
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सबसे अलग सबसे सरल बस आपको नित्या स्नान आदि से निवृत्त होकर सुबह या शाम जप करे और मीठे रोठ का भोग लगाये l अति शीघ्र फल मिलेगा
कहते हैं कि जब उनके पिता वृषभानु जी यज्ञ स्थल की सफाई कर रहे थे। उस समय उन्हें देवी राधा वहां मिलीं और वृषभानु जी ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राधा रानी को श्रीकृष्ण की बाल सहचरी, जगजननी भगवती शक्ति माना जाता है। राधा अष्टमी का त्योहार 26 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन श्री राधा रानी बरसाने में प्रकट हुई थीं। कहते हैं कि जब उनके पिता वृषभानु जी यज्ञ स्थल की सफाई कर रहे थे। उस समय उन्हें देवी राधा वहां मिलीं और वृषभानु जी ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राधा रानी की माता का नाम कीर्ति है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी जन्माष्टमी के पन्द्रह दिन बाद राधा अष्टमी मनाई जाती है। माना जाता है कि जो श्रद्धालु भगवान कृष्ण के लिए जन्माष्टमी का व्रत करते हैं। उन्हें श्री राधा रानी के लिए राधा अष्टमी का व्रत भी जरूर करना चाहिए अन्यथा जन्माष्टमी के व्रत को पूर्ण नहीं होता है।
भगवान शिव के भैरव अवतार की कथा: शिवपुराण के अनुसार, एक बार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे। इस विषय में जब वेदों से पूछा गया तब उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ एवं परमतत्व कहा। किंतु ब्रह्मा व विष्णु ने उनकी बात का खंडन कर दिया। तभी वहां तेज-पुंज के मध्य एक पुरुषाकृति दिखलाई पड़ी। उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा- चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो। अत: मेरी शरण में आओ। ब्रह्मा की बात सुनकर भगवान शिव को क्रोध आ गया। उन्होंने उस पुरुषाकृति से कहा- काल की भांति शोभित होने के कारण आप साक्षात कालराज हैं। भीषण होने से भैरव हैं। आप से काल भी भयभीत रहेगा, अत: आप कालभैरव हैं। मुक्तिपुरी काशी का आधिपत्य आपको सर्वदा प्राप्त रहेगा। उक्त नगरी के पापियों के शासक भी आप ही होंगे। भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्माजी का पांचवा सिर काट दिया। अवगुण त्यागने की सीख भैरव अवतार से भैरव को भगवान शंकर का पूर्ण रूप माना गया है। भगवान शंकर के इस अवतार से हमें अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए। भैरव के बारे में प्रचलित है कि ये ...
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