चातुर्मास में शयन के दौरान भगवान विष्णु इस दिन करवट लेते हैं इसलिए देवश्यानी और देव प्रबोधनी के समान ही परिवर्तिनी एकादशी का महत्व है।
भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी या पद्म एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 29 अगस्त दिन शनिवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास में शयन के दौरान भगवान विष्णु इस दिन करवट लेते हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस एकादशी का बहुत महत्व माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि देवश्यानी और देव प्रबोधनी के समान ही परिवर्तिनी एकादशी का महत्व है। इस दिन व्रत और पूजन करने पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है l
बलि ने कहा कि आप इतने छोटे से हो, तीन पग जiमीन में क्या पाओगे लेकिन वामन देव अपनी बात अडीग रहे। तब राजा बलि ने तीन पग भूमि देने का वचन स्वीकार किया। फिर वामन देव ने अपने विशाल स्वरूप से दो पग में पूरी धरती और आकाश माप लिया था लेकिन तीसरा पग कहां रखें, यह सोच रहे थे। तब वामन देव ने राजा बलि से कहा कि हे राजन में तीसरा पग कहां रखूं।
राजा बलि ने कहा कि हे वामन भगवान आप अपने तीसरे पग को मेरे सिर पर रख दीजिए क्योंकि असुरराज राजा बलि पहचान गए थे कि भगवान विष्णु वामन देव का रूप धारण करके आए हैं। भगवान के पैर रखने के बाद राजा बलि पाताल लोक में समाने लगे थे तब राजा बलि ने भगवान से अपने साथ चलने के लिए आग्रह किया था। फिर भगवान विष्णु ने राजा बलि के साथ पाताल लोक चलने का वचन दे दिया l
  
  
  
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