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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गोरख नाथ कृपा निधान प्रभु भक्ति गुरु महान

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गोरख नाम ही गुरु भक्ति और मुक्ति दायक है पुरातन परम्परा से लेकर आज तक चाहे गाँव कस्बा कबीले शहर हो हर इंसान आज पूजा पाठ कर्म के भावेश मे ना रहकर प्रभु हितकर गौरक्ष शरण की चाह रखता है ऐसे में आसान रास्ता भक्ति का नाथ पंथ दीक्षा के अलावा है ही नहीं l जहाँ शाबर विद्या तथा शाबर मंत्रों के प्रयोग से आज दैनिक जीवन मे जल्दी ही मनोरथ सिद्ध होते है साथ ही गुरु तत्व ज्ञान प्रकट होता है l ऐसे प्रभु गुरु गौरक्ष की हम क्यों न शरण ले l आदेश  सिद्ध आदेश  सिद्ध बाबा  8800904355  Whatsup 

मंगल कामना स्तोत्र - श्री हनुमान जी की महान कृपा और मंगल कीकामना हेतु नित्य जप करे सुन्दर काण्ड और पाए मान सम्मान धन वैभव l जय श्री राम भक्त हनुमान की l

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सुन्दरकाण्ड श्लोक शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।। दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु क...

आज का पंचांग 30 जून 2020 दिन-मंगल वार आइए देखे जाने अपने बारे में

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आज का पंचांग 30 जून: अमृत काल के साथ लग रहा है राहुकाल, जानें शुभ मुहूर्तराष्ट्रीय मिति आषाढ़ 09,  शक संवत् 1942, आषाढ़ शुक्ल दशमी मंगलवार विक्रम संवत् 2077। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 17, जिल्काद 08, हिजरी 1441 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 30 जून, सन् 2020 ई०। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतुः। राहुकाल अपराह्न 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक। दशमी तिथि सायं 07 बजकर 50 मिनट तक उपरान्त एकादशी तिथि का आरंभ। चित्रा नक्षत्र प्रातः 05 बजकर 39 मिनट तक उपरान्त स्वाती नक्षत्र का आरंभ। शिव योग अपराह्न 02 बजकर 15 मिनट तक उपरांत सिद्ध योग का आरंभ, तैतिल करण प्रातः 09 बजकर 02 मिनट तक उपरांत वणिज करण का आरंभ। चंद्रमा दिन-रात तुला राशि पर संचार करेगा। सूर्योदय का समय दिल्‍ली 30 जून: सुबह 05 बजकर 41 मिनट पर। सूर्यास्त का समय दिल्ली 30 जून: शाम 07 बजकर 13 मिनट पर। शिव योग अपराह्न 02 बजकर 15 मिनट तक उपरांत सिद्ध योग का आरंभ, तैतिल करण प्रातः 09 बजकर 02 मिनट तक उपरांत वणिज करण का आरंभ। चंद्रमा दिन-रात तुला राशि पर संचार करेगा। सूर्योदय का समय दिल्‍ली 30 जून: सुबह 05 बजकर 41 मिनट पर। सूर्यास्त का समय...

सिद्ध बाबा आपके लिए लाए है माँ दुर्गा चंडी कवच जिसे धारण मात्र से ही स्वयं काम सिद्ध होने लगते है

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https://www.youtube.com/watch?v=NJL6J-m_hMQ माँ दुर्गा चंडी कवच धारण करो और पाओ हर परेशानी से मुक्ति 

https://youtu.be/NJL6J-m_hMQ

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33 करोड़ देवी देवताओ की सिद्धि और कर्म बस एक निःस्वार्थ भाव से सेवा सहयोग - जय पीपल देव

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हम सभी जानते है की पीपल देवता पर सभी ३३ करोड़ देवी देवताओ का वास होता है फिर भी पीपल देवता पर कम और मंदिर में ज्यादा पूजा करने में लोग विश्वास करते है ऐसे में आपने  कभी जानने की कोशिश नहीं की और न ही आपका ध्यान इस और लाया गया  Hum sabhi jaante hai ki peepal devta par sabhi 33 crore devtao ka vaas hota hai phir bhi peepal dev par kamm aur mandir mae puja karne jaane mae jyada vishwas karte hai jabki agar hum vohi prarthna mantra japp chalisa shlok aadi peepal dev ke neeche aasan laga kar kare to nishchit hi shigra, fal prapt hoga par phir bhi hum aisa karne mae sankoch karte hai. Agar hum apne greh Shanti Eist Araadhna peepal vraksh peepal dev par kare to ati shigra fal prapt hoga.  Kal mangalvaar hai kal subah se hi apne aradhyeh Shree hanuman Ji ki Kal puja peepal dev par karke unhe prapt karne ka prayas kare ati shigra fal milega. Prashad chadhane se pehle kucch pattiyo par hanuman ji ke sindoor mae chameli ka tail ya shuddh deshi ghee milakar 7 patto par kam...

राम भक्ति अति हितकारी -सियापति राम जय जय राम

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🚩🚩जय बाबा की 🚩🚩 प्रभु श्रीराम सीता माता व हनुमान जी की कृपा प्राप्ति हेतु यह जप नित्य करे।  मातु मोहि दीजे कछु चिन्हा जैसे रघुनायक मोहि दीन्हा।  चुड़ामनि उतारि तब देहिहु हर्ष समेत पवनसुत लेहिहु।।  मंगल भवन अमंगल हारि द्रबहु सुदसरथ अजर बिहारी।  दीन दयाल बृहद् सम भारी हरहु नाथ मम् संकट भारी।। शरू करे मंगलवार या शनिवार से और पाए असीम सुख  सिद्ध आदेश  सिद्ध बाबा  8800904355  WhatsUp 

हनुमान जी दिलाएंगे दुश्मन से छुटकारा आइये जाने कैसे

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दुश्मन से चाहिए छुटकारा  तो जप करो ये।  ऊं कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलेसि धरि धुरि।  कछु पुनि जाये पुकारि प्रभु मर्कट बल भूरि।।  मन मे उस व्यक्ति को रखते हुए कपूर जोत जलाए मीठा प्रसाद लड्डू सामने रखे और 5 अगरबत्ती अवश्य लगाए l नित्य प्रातः जप करे 108 बार और  मंगलवार के दिन पीपल देव को जल दे  दीप दान दे व स्पर्श करे।

ॐ नव नाथाय: नमः,अति प्रभावशाली नव नाथ मंत्र

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।।मच्छिंद्र गोरक्ष जालीन्दराच्छ।। कनीफ श्री चर्पट नागनाथ:।। श्री भर्तरी रेवण गैनिनामान।। नमामि सर्वात नवनाथ सिद्धान।।

व्यापारिक घाटा अब भूल जाये करे बुद्ध ग्रह शांति प्रयोग और लाये अपने कारोबार मे दिन दोगुनी तरक्की I

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आदेश आदेश जय बाबा की🚩 व्यापार घाटे से न हो परेशान पाये बूध देव की कृपा।  बुध गृह शांति : गणेश भगवान का आवहान करे और श्रृद्धा से 1 माला मंत्र जप करे - ऊं बुं बुद्धायै: नम: व जल पीपल देवता को अर्पित करे तथा सरसो के तेल का दीपक,धुप बत्ती जलाते हुए अपनी कामना की प्रार्थना करे और 5 बताशे का भोग लगाये और 1 बिना चुपड़ी रोटी पर कोई भी हरी सब्जी रखकर 5-7 बुधवार ऐसा करे तथा एक हरे रंग का झंडा बनवाकर पिप्पल वृक्ष पर टांगे फिर देखे आपको कैसे अति शीघ्र फल प्राप्त होगा। जय बाबा की। सिद्ध आदेश 8800904355 

मोहिनी, वशीकरण और प्रेम- एक दुसरे के पूरक।

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🌹🌹मोहिनी, वशीकरण और प्रेम- एक दुसरे के पूरक।  प्यार अहसास विश्वास वफ़ा सच्चाई अगर है दो प्रेमियों के बीच तो उनका रिश्ता भी वैसे ही अटूट हो जाता है जैसे दिया और बाती व चिराग और रोशनी।  अगर कही कमी है विचारों मे, विश्वास मे, तब यह कही न कहीं आपसी सुझबुझ व एक दुसरे को पूर्णतया न जान पाने का कारण है कही कमी रह गयी एक दुसरे को जानने व समझने में। बजाए विचारों को दबाकर रखने के एक दूसरे को अपनी बात सच्चे दिल से ह्रदय की गहराई से समझाने की कोशिश करोगे तब एक और रास्ता और गहराई से एक दुसरे से जुड़े रहने का मिलेगा जो आपको असीम सुख स्नेह की ओर प्रेरित करेगा।  आदेश आदेश 8800904355 सिद्ध बाबा

अमावस्या का शुभ दिन और पीपल देवता की पूजा दिलाएगी आपको पित्र दोष से मुक्ति l

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जय गुरु महाराज जय बाबा की  अमावस्या पर पित्र शांति का अचुक उपाय : एक लौटा जल उस जल मे दुध व कुछ मीठा जैसे 1 चुटकी खांड डाल कर पीपल की जड सींचे व कुछ मात्रा कच्चा गाय का दुध जड मे डालकर अपने उत पित्र व कुल देते का ध्यान करते हुए सवा मीटर सफेद कपड़ा वहा बिछाए और उस पर एक पाव उबले चावल एक पाव देशी खांड 100 ग्राम देशी घी रखकर व एक मीठा रौठ  एक पंच मुखी दीपक देशी घी का एक धूप बत्ती जलाकर आप अपने उत पित्र व कुलदेवताओ स्मरण करे का तथा पीपल देवता को गुरु महाराज समझते हुए उनसे आशीर्वाद की कामना करे। आपको अति उत्तम व शीघ्र फल प्राप्त होगा। न कोई मंत्र  न तंत्र की आवश्यकता।  सिद्ध आदेश।  जय बाबा की। सत नाम आदेश। आदेश। गुरु जी को आदेश। सिद्ध आदेश  सिद्ध बाबा  8800904355  WhatsUp 

ब्रहस्पति ग्रह शांति और पिप्पल भक्ति का विशेष महत्व

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🚩  आदेश आदेश जय बाबा की 🚩 ब्रहस्पति शांति मंत्र व अचूक विधि आप 3 लडडू बुंदी 3 फूल गैंदे के 3 केले 3 लौंग 3 बताशे 3 गांठ साबुत हल्दी एक सरसो के तेल का दीपक या देशी घी का और 5 अगरबत्ती।  एक लौटा जल उसमें कुछ हल्दी व मीठा डालकर कैले या  पीपल वृक्ष को सीचे और 3 माला मंत्र जप करे।  ऊं गं गणपतये नमः 3 बार ऊं बृं बृहस्पतयै नमः 3 माला जप करे व प्रशाद बांटे। सिद्ध आदेश  सिद्ध बाबा 8800904355 WhatsUp 

चिमटा मंत्र निराला शाबर विद्या - बाबा गोरख

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 सबसे अलग सबसे सरल बस आपको नित्या स्नान आदि से निवृत्त होकर सुबह या शाम जप करे और मीठे रोठ का भोग लगाये l अति शीघ्र फल मिलेगा 

बापू गांधी का सपना - फिर वहीं पुरानी राह जिसका सपना देखा और दिखाया था बापूजी ने l वहीं आंदोलन बस राह अलग पहले लड़ाई आजादी के लिए थी जो अब उनके द्वारा दिए गए संस्कारों के प्रति ताकि समता का भाव बना रहे जैसा हमने चाहा था लोकल से वोकल l

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दीमाग की यादे तेज कर ली जाये दुबारा l आओ लौट चले फिर फिर वहीं 1970-80 के दशक में जहां से ही नीति थी व्यापार की l स्वदेशी जो था गांधी जी का सपना l ईस्ट इंडिया कंपनी को भगाना है तो स्वदेशी बनाना अपनाना होगा l ताकि अंग्रेज भागे l लेकिन आज भगाना नहीं है उनकी नीति मिटाना है जो सरकार आफत खुद लाती है और फिर उसका इलाज ढूँढती है l पेप्सी कोक Nike Reebok woodland Peter England और ना जाने कितने अनगिनत ब्रांड मार्केट मे है इन्हें अगर एक दम बंद किया तो ना जाने कितने व्यापारी बर्बाद होंगे जिनके पास imported चाइनीज और दूसरे देश की पूरी चैन है cosmetics और इलेक्ट्रिक की उनका माल कोई भी नहीं लेगा आधे रेट मे भी ऐसे मे पहले जब तक यहा उसका अल्टरनेट ना आ जाए तक तक ऐसा ना हो l पहले व्यापरियों से इसका ब्यौरा लिया जाए या उन्हें सरकार प्रावधान समझाये l पुराने ब्रांड पुराना दौर नई दिशा पुराना दौर नाम नया vocal for local और काम वहीं जो था दशकों पहले खादी vs ईस्ट इंडिया

नाथ परंपरा का आधार ही बाबा गोरख नाथ है उसी पर केंद्रित है ये विचार - पार हैं ज़न जब संग हो नाथ l प्रभु मूर्त गुरु गौरक्ष नाथ

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तज प्रभु मूर्त  श्री शिव गौरक्ष गुरु रब रक्खा  श्री शिव गौरक्ष नित जपु मैं अब श्री शिव गौरक्ष मेरा काम बने श्रीं शिव गौरक्ष मेरी बात बने श्री शिव गौरक्ष मेरा नाम चले    श्री शिव गौरक्ष जप रटत रटत  नित रटत रटत श्री शिव गौरक्ष  श्री शिव गौरक्ष भजु भज भज मैं तजू तज तज मैं श्री शिव गौरक्ष  श्री शिव गौरक्ष मन भज भज भज  प्रभु भज भज भज  ओम शिव गौरक्ष  ओम शिव गौरक्षा जग अलख अलख  आदेश अलख जग अलख अलख  आदेश अलख सिद्ध बाबा 8800904355 WhatsUp 

सत्य नारायण व्रत कथा - भगवान विष्णु सभी भक्तगणों के ह्रदय में वास करते है और इसीलिए अपने भक्तों के लिए प्रेरणा दायक कर्तव्य निष्ठा व सत्य की चाह हमेशा रखते है इसी पर आधारित उनकी सत्य नारायण कथा जो सभी कथाओं में सर्वोत्तम सर्वश्रेष्ठ व अति महत्वपूर्ण है आइये कथा कहे और झूम जाए भक्ति में l

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पूर्णिमा के पावन अवसर पर अति फल दायीं श्री सत्य नारायण व्रत कथा l आप कथा स्वयं कहे और एकत्रित होकर परिवार सहित सभी भक्तों को सुनाए और श्री भगवान के भोग के लिए पंजीरि और चरणामृत का भोग लगाए l आपकी मनोवांछित अभिलाषाएं पूर्ण होगी l श्री सत्य नारायण व्रत कथा इस प्रकार हैं  पुराकाल में शौनकादिऋषि नैमिषारण्य स्थित महर्षि सूत के आश्रम पर पहुंचे। ऋषिगण महर्षि सूत से प्रश्न करते हैं कि लौकिक कष्टमुक्ति, सांसारिक सुख समृद्धि एवं पारलौकिक लक्ष्य की सिद्धि के लिए सरल उपाय क्या है? महर्षि सूत शौनकादिऋषियों को बताते हैं कि ऐसा ही प्रश्न नारद जी ने भगवान विष्णु से किया था। भगवान विष्णु ने नारद जी को बताया कि लौकिक क्लेशमुक्ति, सांसारिक सुखसमृद्धि एवं पारलौकिक लक्ष्य सिद्धि के लिए एक ही राजमार्ग है, वह है सत्यनारायण व्रत। सत्यनारायण का अर्थ है सत्याचरण, सत्याग्रह, सत्यनिष्ठा। संसार में सुखसमृद्धि की प्राप्ति सत्याचरणद्वारा ही संभव है। सत्य ही ईश्वर है। सत्याचरणका अर्थ है ईश्वराराधन, भगवत्पूजा। कथा का प्रारंभ सूत जी द्वारा कथा सुनाने से होता है। नारद जी भगवान श्रीविष्णु के पास जाकर उनकी स्तुति करते...

श्रीमद्भागवत गीता से जुड़े चमत्कारिक रहस्य

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एक चामत्कारिक रहस्य- जय श्री राधे जय श्री कृष्णा l क्या आप सभी जानते हैं कि श्रीमद्भागवत गीता के कल्पना मात्र अनुसरण संकल्प से ही हमारे ह्रदय रूपी कमल में ब्रह्म की उपस्थिति सम्भव है फिर ऐसी ज्ञान गंगा पवित्र पावन अमृत रस रूपी श्रीमदभगवत गीता का पाठ हम क्यों ना करे जो हमे हर भ्रम से बचाकर ब्रह्म की उपस्थिति जागृत कराती है और हमारे हर प्रश्न का उत्तर स्वयं प्रदान करती है जो मानस ज़न की दुविधाओं से पार लगाने का एक मात्र श्रोत है l आप सभी भक्तों से मेरा विनम्र निवेदन है कि अपनी कल्पना और प्रस्थिति का अनुसरण करते हुए अपने प्रश्नो का उत्तर अपने ही ह्रदय मे स्थिर परब्रह्म परमेश्वर को साक्षी मानते हुए सभी प्रश्नों का उत्तर श्रीमदभगवत गीता से पाने की कोशिश करे और अपने योग बल और ध्यान योग का उपयोग करते हुए ज्ञान गंगा सागर का अमृत रस पान करे और अपनी दुविधाओं से जो आपका भ्रम मात्र है उसे ब्रह्म रूपी ज्ञान गंगा से हल करे l जय श्री हरि l जय श्री राधे l आदेश सिद्ध बाबा 8800904355 WhatsUp

सुन्दर स्त्री व संतान की चाह पूरी करते हैं शुक्र ग्रह और पीपल देवता के ही आशिर्वाद से होगा शुक्र ग्रह शांत l आइये जाने कैसे करे शांत शुक्र ग्रह और पाए पारिवारिक सुख शांति सुन्दर स्त्री व सन्तान

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पीपल वृक्ष आधारित शुक्र ग्रह शांति व नव ग्रह प्रयोग : 🚩 ॐ गणेशाय नमः🚩 🚩 ॐ ब्रह्म देवाये नमः 🚩 नव ग्रह पीड़ा से ना हो परेशान जब आपके पास है स्वयं मुक्ती पाने की कला बस उपाय एक सर्वप्रथम संकल्प शक्ति और उपाय जो चमत्कारी हो l आज ऐसा ही एक उपाय आपके लिए जो आपको शुक्र ग्रह पीड़ा से मुक्ति दिलाएगा बस आपको य़ह प्रयोग 5-7 शुक्रवार करना है वो भी शाम के समय जब दिन छुप चुका हो l आप शाम के समय थोड़ी सी मात्रा मे बुरा (शुगर पाउडर) और उसमे एक चम्मच शुद्ध देसी घी एक कटोरी या दोने मे डालकर साथ ले जाए और साथ ही एक दोने या कटोरी मे दही भी ले जाए उसमे कोई मीठा या नमक कुछ ना डाले बिल्कुल फीकी दही एक कटोरी l अब आप शुक्र देवता को नमस्कार करते हुए बुरा और शुद्ध  देसी घई की कटोरी का प्रसाद वहा पीपल वृक्ष की जड़ मे चढ़ाए और उसके बाद बाबा भैरव नाथ को प्रणाम करते हुए नमस्कार करते हुए उनसे प्रार्थना करे कि बाबा मैं आपका भोग प्रसाद दे रहा हू या दे रही हू आप मेरा प्रसाद स्वीकार करे और मेरी ग्रह पीड़ा और परेशानी शांत हो I इसके बाद ये दही का प्रसाद पीपल देवता की जड़ मे चढ़ाए और एक धूप बत्ती या 2 अगरबत्ती वही ...

कृष्ण ही है जो साथ है तेरे - जय श्री कृष्ण

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🚩जय श्री कृष्णा🚩 भगवान के अनेक रूप मन मोह लेते है जब हम देवकी नंदन के रूप में, यशोदा नंदन के रूप में, माखन चोर कन्हैया के रूप में, गिरधर गोपाल रूप मे, गोवर्धन महाराज रूप में, वृंदावन बिहारी लाल के रूप में, कृष्ण बलराम सखा रूप में, सुदामा कृष्ण के सच्चे मित्र रूप में, मुरली मनोहर लाल रूप में,  सखी सहेली राधा संग राधा कृष्ण रूप में, रुक्मणी कृष्ण रूप में, अर्जुन कृष्ण गुरु शिष्य रूप में, विराट स्वरुप परमेश्वर रूप में, और इस सबसे भी अलग जगत गुरु श्री गिरधर गोपाल देवकी नंदन भगवान कृष्ण के रूप मे l एक हूँ मैं अनेक नाम है मेरे    रूप अनेक फिर भी साथ हूँ तेरे जहां चाहें तू पा ले मुझको    हर धड़कन में साथ हूँ तेरे तेरी सोच और बोल में तेरे    जीवन की हर डोर में तेरे चले साथ परछाईं में तेरे    गुरू सखा मित्र ईश् रूप में सत्य सदा अनेक रूप में    मै ही साथ बस साथ हूँ तेरे ईश् हूँ जगदीश रूप में    पहचानो संग कौन है तेरे बस कृष्ण हूँ मैं जो साथ है तेरे l               🚩जय राधा माधव🚩 🚩ज...

शिव शंकर भगवान की लीलाएं अपरम्पार है कुछ कथायें ऐसी भी हैं जो दिल को छु लेती है उन्हीं में से एक आप सबके लिए जब भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ जुआ खेला और फिर आगे माता ने क्या किया उसके लिए आप कथा पढ़ के जाने l

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हिंदू धर्म में भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है। कई लोग इन्हें देवों के देव महादेव भी पुकारते हैं। भोलेनाथ ही एक ऐसे देव हैं जो व्यक्ति की थोड़ी सी पूजा-पाठ करने से जल्दी खुश हो जाते हैं। तो आज हम आपको भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी एक ऐसी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जो शायद ही किसी को पता हो।  एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ जुआ खेलने को कहा। उस समय भगवान शंकर अपना सब कुछ हार गए और हारने के बाद भोलेनाथ अपनी लीला को रचते हुए पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए। कार्तिकेय को जब सारी बात पता चली, तो वह माता पार्वती से समस्त वस्तुएं वापिस लेने आए। इस बार खेल में पार्वती जी हार गईं तथा कार्तिकेय शंकर जी का सारा सामान लेकर वापस चले गए। अब इधर पार्वती भी चिंतित हो गईं कि सारा सामान भी गया तथा पति भी दूर हो गए। पार्वती जी ने अपना सारा हाल अपने प्रिय पुत्र गणेश को बताया तो माता के भक्त गणेश खुद खेल खेलने शंकर भगवान के पास पहुंचे। इस बार खेल में गणेश जी जीत गए तथा लौटकर अपनी जीत का समाचार माता को सुनाया। इस पर पार्वती ने कहा कि उन्हें...

शिव शंकर भगवान का भैरव रूप में अवतार - एक कथा

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भगवान शिव के भैरव अवतार की कथा: शिवपुराण के अनुसार, एक बार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे। इस विषय में जब वेदों से पूछा गया तब उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ एवं परमतत्व कहा। किंतु ब्रह्मा व विष्णु ने उनकी बात का खंडन कर दिया। तभी वहां तेज-पुंज के मध्य एक पुरुषाकृति दिखलाई पड़ी। उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा- चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो। अत: मेरी शरण में आओ। ब्रह्मा की बात सुनकर भगवान शिव को क्रोध आ गया। उन्होंने उस पुरुषाकृति से कहा- काल की भांति शोभित होने के कारण आप साक्षात कालराज हैं। भीषण होने से भैरव हैं। आप से काल भी भयभीत रहेगा, अत: आप कालभैरव हैं। मुक्तिपुरी काशी का आधिपत्य आपको सर्वदा प्राप्त रहेगा। उक्त नगरी के पापियों के शासक भी आप ही होंगे। भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्माजी का पांचवा सिर काट दिया। अवगुण त्यागने की सीख भैरव अवतार से भैरव को भगवान शंकर का पूर्ण रूप माना गया है। भगवान शंकर के इस अवतार से हमें अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए। भैरव के बारे में प्रचलित है कि ये ...

शनि दशरथ स्तोत्र जो दिलाएगा आपको शनि देव से शुभ फल और यश कीर्ति

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शनि शांति का अचूक उपाय जो दिलाएगा दुःखों से मुक्ति नित्य प्रातः व रात्रि काल जप करे l दशरथकृत शनि स्तोत्र: नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥1॥ नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥ 2॥ नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते॥ 3॥ नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥ 4॥ नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च॥ 5॥ अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते। नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते॥ 6॥ तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥ 7॥ ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥ 8॥ देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥ 9॥ प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे। एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥10॥ दशरथ उवाच: प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम्। ...